Sunday 3 February 2013

हम सभी फ़ालतू की बातों में कुछ ज्यादा ही ध्यान देते हैं। कभी हमारे कुछ हिन्दू दोस्त अपने बकवासी "हिन्दुत्व " का दिखावा करने के लिए आतंकवाद को "मुस्लिम आतंकवाद " का बेवजह नाम देते रहते हैं। पर हम लोग ये नहीं समझते कि  इस से हमारा देश टूटेगा। वाह! रे नाम के देशवाशियों। ये भूल गए कि हिन्दू भाई मुस्लिम भाई दोनों साथ साथ आज़ादी की लड़ाई लड़े , और आज आज़ाद भारत मिला तो दोनों आपस में ही लड़ रहे हैं। और ये उन हिन्दू भाइयों के लिए हो हमेशा धर्म के नाम पर चिल्लपों मचाते रहते हैं। गौर फ़र्माइयेगा , ये उन हिन्दुओं के नाम और आरोप हैं जिन्होंने आतंकवादियों से भी घिनोने काम किये और ये सूचि कुछ और भी लम्बी है।:~

नाम : माधुरी गुप्ता
काम : पाकिस्तान में भारतीय दूतावास के लिए काम करना
आरोप : विश्व की खतरनाक खुफिया एजंसी आई एस आई के लिए अपने ही देश की जासूसी की
नाम : रविंदर सिंह
काम : रा का अधिकारी
आरोप : अमरीकी खुफिया एजंसी सी आई ऐ के जासूसी की ... लेकिन भारत की पकड़ में आने से पहले ही लापता
नाम : सुखजिंदर सिंह
काम : नौ सेना अधिकारी
आरोप : एक रूसी महिला के साथ कथित सम्बन्ध की जाँच जारी ....
नाम : मनमोहन शर्मा
काम : चीन में भारतीय दूतावास में वरिष्ठ अधिकारी
आरोप : एक चीनी महिला के साथ सम्बन्ध के बाद भारत वापस बुला लिया गया.... शक था महिला चीनी मुखबिर
नाम : रवि नायर
काम : १९७५ बैच के रा अधिकारी
आरोप : २००७ में एक लड़की के साथ दोस्ती के बाद वापस बुलाया गया ... लड़की चीनी जासूसी एजंसी की मुखबिर
नाम : अताशे
काम : भारतीय नौ सेना में कार्यरत
आरोप : पाकिस्तान में विदेशी खुफिया एजंसियों से कथित तालमेल का आरोप
नाम : यशोदानंद सिंह
काम : रिटायर्ड सी आर पी एफ सब इंस्पेक्टर
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचने वाले गिरोह का सरगना
नाम : विनोद पासवान
काम : हवालदार सी आर पी एफ
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचे
नाम : दिनेश सिंह
काम : हवालदार सी आर पी एफ
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचे
नाम : बंशलाल
काम : उत्तर प्रदेश पुलिस
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचे
नाम : अखिलेश पाण्डेय
काम : उत्तर प्रदेश पुलिस
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचे
नाम : राम किरपाल सिंह
काम : उत्तर प्रदेश पुलिस
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचे
नाम : नत्थी राम
काम : मोरादाबाद पुलिस अकादमी
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचे......
         अब मेरा सवाल है उन सभी हिन्दू और मुस्लिम दोस्तों से ; कि  कल जो कुछ भी इतिहास  में हुआ क्या उसको लौटाया जा सकता है? क्या उसको बार-बार कुरेदने से और उस घाव को हरा करके लड़ने- झगरने से हमारा वर्तमान और भविष्य सही हो पाएगा? क्या आजादी में केवल एक ही धर्म के लोग लड़े थे?
    और ख़ास कर के उन चू****यों को तो मैं सलाम करता हूँ जो बेवजह का हिन्दू-हिन्दू और इस्लाम इस्लाम का जाप कर के धर्म के नाम पर,मज़हब के नाम पर देश को तोड़ने में लगे हैं और देश और मज़हब दोनों को बदनाम करते हैं। 
    ये हमारे मुस्लिम भाइयों के लिए :
        हमारा हिन्दुस्तान; जहा तक हमने जाना, "दारूल अम्न" है (देवबंद के फतवे के हिसाब से). इसका मतलब यह है कि यहाँ पर  जो भी  मुस्लिम किसी दुसरे मज़हब वाले को बिला-वजह परेशान करे तो वह इस्लाम से खारिज हो जाता है। और ऐसा  कुरआन-शरीफ में भी लिखा है कि "अल्लाह एक है;और वो सबमे है। बस कोई उसे नबी कहता है तो कोई पैग़म्बर। वो सबके लिए बराबर है। किसी को जबरन किसी चीज़ के लिए मजबूर करना हराम है और ऐसे लोगों से खुद नाराज़ रहते हैं और इनपर दोज़ख़ की दुश्वारियाँ  बरसती हैं।" जब ऐसा  है तो फिर क्यों सुने ओवैशी जैसे काफिरों की बातें और क्यों याद करें वो बीता कल जो सिर्फ दर्द दे और अपनों से अलग करवाए। जितना हिन्दुस्तान हिन्दुओं का है ,उतना ही मुस्लिमों का भी। दोनों साथ साथ आज़ादी की लड़ाई लड़े थे। और अगर कुछ बेवकूफ लोग अगर आपको उकसायें बीते कल की दुहाई दे कर या धर्म के नाम का वास्ता दे कर , तो बस कलमा पढ़ के उसका मतलब समझा देना ; "या इलाह-ए-इल्लालाह मुहम्मद-ए-रसूल-अल्लाह "

ये हमारे हिन्दू भाइयों के लिए:
      क्या होगा कल को याद कर के, बाबर को औरंगजेब को, बख्तियार खिलजी को या गजनवी को याद कर के? क्या वो आ कर नया भारत बना देंगे? क्या जो हुआ, फिर से ठीक हो जाएगा? नहीं। कभी भी नहीं। उल्टा हालात बोस्निया , हर्जेगोविना जैसे बन जायेंगे। फिर सम्हालते रहना तिनकों में बंटे अपने "हिन्दू के हिन्दुस्तान" को। और किस मुसलमान को गालियाँ देते हो?अगर इतना ही इतिहास में जाने की आदत है तो अकबर क्यों याद नहीं आते जिन्होंने सबसे पहले "दीन-ए -इलाही " धर्म की स्थापना की थी जिसमे छुआ-छूत , जात-पात जैसी कोई चीज़ नहीं थी। और ये क्यों भूल जाते हो कि  अश्फाक-उल्ला खान साहब ने आज़ादी की खातिर फ़ासी को गले लगाया, मो . अब्दुल्लाह ने अंग्रेजों की गोलिया खाई और शहीद हो गए। आप लोग तो अन्ग्रेजों की उस चाल को कामयाब कर रहे हो जिस खातिर उन्होंने हमें बांटा था। आपलोग भी "मोहन भगवत, गोविन्दाचार्य " और न जाने कितने बेवकूफों की बातों में आ कर अपने ही भाइयों से लड़ भिड़ते हो। ऋग्वेद में लिखा है ; "एकोहं , द्वॆतियोनास्ति " . मतलब इश्वर एक हैं और वो सबके लिए हैं। दूसरा कोई नहीं। और विष्णुपुराण में लिखा है; "ममात्म्नः  निरात्म्नम , द्विरात्मनम अशिआत्मनम।
 नामात्मनाह भिन्नात्मनः,मामेकं जगनात्मनम।।" 
  मतलब तेरी आत्मा, उसकी आत्मा, अच्छी आत्मा , बुरी आत्मा सबमे मैं हूँ। बस नाम अलग हैं, पर सारे जगत में मैं ही व्याप्त हूँ।
     इसका मतलब जब हम किसी को भी (चाहे वो अपने धर्म के हो या दुसरे धर्म के ), अगर परेशान करते हैं या गालियाँ देते हैं तो हम अपने इश्वर के साथ एसा कर रहे हैं। अब तो साथ रहने की आदत डालो। लड़ के किसी का कुछ अच्छा नहीं होगा।
   बस कुछ भी करने से पहले अपने हिन्दुस्तान को याद कर लेना। क्यों कि :
        "पागल फकीर ये कहता सबको, कितना लाल बहेगा रंग?
           पहले टूटे दिल के टुकडे , अब तो मत तोड़ो ये वतन!
           बहोत हुआ; बस ख़त्म करो अब नफरत की ये काली जंग 
            वरना सबकुछ लुट जाएगा , हिन्दोस्तां फिर बिक जाएगा,
             नेताओं के तोंद के नीचे समेटना तुम अपना ज़ेहन।"
       जय हिन्द                                      :~ अविनाश  

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