Friday 25 January 2013

गणतंत्र दिवस पर विशेष :~


आओ भैया , आज दिखाएँ;
हम तुमको ऐसा तंत्र,
जो बूढ़ी आज़ादी को ढोता ;
बना हमारा "प्रजातंत्र".

गुस्ताखी माफ़ . . . . .
हरेक घर में दुबक के बैठा ;
हिम्मत का संयंत्र ,
बाहर क्या; घर में नहीं सुरक्षित देवी ,
कैसे गायें "विकास-एकता" - मंत्र?

अरे! जिनको दें देश चलाने;
वो बनाएं इसे "नोट- छपाई" यंत्र ,
तो अब खुद ही बताओ यारों;
कहाँ गया हमारा "लोकतंत्र "?

घोटालों और बलात्कार का , बना भारत "यँत्र " है ,
यही " गणतंत्र " है;  यही " लोकतंत्र " है।

धर्म- नाम पर तोड़ें इसको, "भागवत " "ओवैशी " के लोभी तंत्र हैं,
यही " गणतंत्र " है;  यही " लोकतंत्र " है।

मूक "मुखिया "; "साहब " बोलें  "हाफ़िज़ " को जो "शिंदे " जैसे " रोबोट-यन्त्र " हैं,
यही " गणतंत्र " है;  यही " लोकतंत्र " है।

पाक क नापाक़  हमले पर भी; मोन "मुखिया " संट  है,
यही " गणतंत्र " है;  यही " लोकतंत्र " है।

नित नए "खाप " फतवों में बंदी; पूरा स्त्री-तंत्र है,
यही " गणतंत्र " है;  यही " लोकतंत्र " है।

2G , 3G  "कालेधन " के "कोयले " में  "लवासा " इत ; सारा  मंत्री-तंत्र है,
यही " गणतंत्र " है;  यही " लोकतंत्र " है।

आज लुटी, कल कहीं जली ; देवियों को "तारणहार "  "कू " आशाराम का "भैया" मंत्र है,
यही " गणतंत्र " है;  यही " लोकतंत्र " है।

बर्बरता के चरम पर पहुँचा; पूरा असामाज तंत्र है,
यही " गणतंत्र " है;  यही " लोकतंत्र " है।

सब भूले; 'हम साथ लड़े थे , आज़ादी को पाने को ';
आज भिड़े सब एक-दूजे की बर्बादी भुनाने को।

हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-इसाई ;
नहीं रहा कोई भाई,

धर्म-कुरक्षित नेताओं को सुनकर;
बन बैठे सब "मानव-कसाई ".

'आज उठा विश्वास "विधान " से',
कुछ जनता का झुण्ड कहे,
'क्यूँ जश्न मनाएं हम सब ;
गण -गणतंत्र ही न रहे।'

बांकी अपनी बारी के मालिक;और न्योते में कुचक्र तंत्र है,
यही " गणतंत्र " है;  यही " लोकतंत्र " है।
                                   फिर भी , आप सब के लिए :~

                                       "गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ "

                                                              :~"अविनाश "

Monday 7 January 2013

कौन कहता है दिल्ली "दिलवालों " की नगरी है ? ये सब पूरा झूठ है। अगर ऐसा  होता तो उस दिन तमाशबीन नहीं बनते और उन दोनों "बेचारे " को देख कर दिल्ली रोड पर गुजरने वाले रात के "मुर्दा" राही अनसुना और अनजाना नहीं करते। और अगर ऐसा  होता तो शायद वो बेचारी बच जाती। फिर भी कोई खास फायदा नहीं होता , क्योंकि उसके बाद "चादर ढके बलात्कारी " मोहन भागवत , राज ठाकरे , आशाराम और न जाने कितने ऐसे कमीनों की फ़ौज बार बार उसका अपनी ज़हर जैसे बातों से बलात्कार करती। वो तो जीते जी मर जाती।ये दिल्ली ही नहीं पूरे भारत में अब किसी के पास दिल नहीं रहा, सारे के सारे ; हमलोग सारे मर चुके हैं।
       
               हम क़ानून कड़ा  करने और नया कानून बनाने की हल्ला हुल्लड़ करते हैं। पर खुद से पूछने का वक़्त है; "जब कोई हमारे सामने उस विभत्स अवस्था में होगा तो क्या हम सहायता के लिए आगे आयेंगे?"
 या," फिर ये सोचेंगे की ये हमारा काम नहीं है?"
 "अगर हमारे ही साथ कभी ऐसा  हो जाए तो क्या इस तरह की सोच लिए घूमने वाले क्या कभी हमारी सहायता कर पायेंगे?"
  इन सब का एकमात्र जवाब है "नहीं , नहीं,नहीं ". एक और सच यह भी है के ये सच हम में से बहुत सारे लोगों को हजम नहीं होगा। पर खुद में इमानदारी से झाँक कर देखिये सब समझ में आ जाएगा।

     सिस्टम को बदलने या क़ानून कड़ा  करने से भी कभी कुछ नहीं होने वाला जबतक हमलोग अपनी सोच नहीं बदलें। और शायद वो दिन कभी आएगा  भी; पता नहीं। इसी लिए पहले खुद की सोच को बदलिए फिर कानून बदलने की वक़ालत करना। उस रात के गवाह उस लड़की के दोस्त ने साफ़ और बेरहम दिल्ली को अपनी आँखों से देखा ; और इसी  कारन उसने कहा ;"अगर आप किसी की मदद कर  सकते हैं तो जरूर करिए, क्योंकि क्या पता कल क्या हो। अगर उस रात किसी ने भी हम्दोनो को देखकर अनदेखा न किया होता , किसी ने भी अगर मदद की होती तो शायद "वो " बच  जाती, शायद ....". 
अजीब सा लगता है इसी ख़बरें पढ़ कर। और उस से भी अजीब लगता है की ऐसे  लोगों को "धर्मगुरु "   बनाया ? ये सोच कर। कभी कोई R .S .S . की नाली का कीड़ा लड़कियों को घर से बाहर निकलने से और अपनी आजाद  ज़िन्दगी जीने से रोकता है और औरतों को मर्द ज़ात का "अधिकृत " कहता है, तो कभी इस "कू "आशाराम  जैसे हमारे ही बनाए तथाकथित धर्मगुरु उस लड़की को ही गलत ठहराते हैं जिसका 6 जानवरों ने (जो शायद इन्ही जैसी सोच के हों ) विभत्सता से  बलात्कार किया और मार डाला(अपराधी "भाई या बहन "नहीं सुनता )। उल्टा ये लोग तो उन बलात्कारियों की कठोर सजा के भी खिलाफ हैं, जैसे उन लोगों ने कोई महान काम किया हो या फिर इनके रिश्तेदार हों।यहाँ सबको पता है इनके खुद के आश्रम की सच्चाई। वह भी बच्चों के यौन शोषण के कितने मामले आये हैं और कुछ तो हत्या के भी।शायद इसी वजह से ये "अपने भाई बंधुओ " का बचाव कर रहे हों। थू .. ! है इन जैसे ढोंगी धर्मगुरुओं पर। जा कर चुल्लू भर पानी में डूब मरो "कू "आशाराम! शायद अब आप धरती के बोझ हो चुके हो।
TO KNOW MORE http://aajtak.intoday.in/story/asaram-bapu-shocks-holds-girl-responsible-for-delhi-gangrape-1-718009.html