Monday, 7 January 2013

अजीब सा लगता है इसी ख़बरें पढ़ कर। और उस से भी अजीब लगता है की ऐसे  लोगों को "धर्मगुरु "   बनाया ? ये सोच कर। कभी कोई R .S .S . की नाली का कीड़ा लड़कियों को घर से बाहर निकलने से और अपनी आजाद  ज़िन्दगी जीने से रोकता है और औरतों को मर्द ज़ात का "अधिकृत " कहता है, तो कभी इस "कू "आशाराम  जैसे हमारे ही बनाए तथाकथित धर्मगुरु उस लड़की को ही गलत ठहराते हैं जिसका 6 जानवरों ने (जो शायद इन्ही जैसी सोच के हों ) विभत्सता से  बलात्कार किया और मार डाला(अपराधी "भाई या बहन "नहीं सुनता )। उल्टा ये लोग तो उन बलात्कारियों की कठोर सजा के भी खिलाफ हैं, जैसे उन लोगों ने कोई महान काम किया हो या फिर इनके रिश्तेदार हों।यहाँ सबको पता है इनके खुद के आश्रम की सच्चाई। वह भी बच्चों के यौन शोषण के कितने मामले आये हैं और कुछ तो हत्या के भी।शायद इसी वजह से ये "अपने भाई बंधुओ " का बचाव कर रहे हों। थू .. ! है इन जैसे ढोंगी धर्मगुरुओं पर। जा कर चुल्लू भर पानी में डूब मरो "कू "आशाराम! शायद अब आप धरती के बोझ हो चुके हो।
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